यूं तो बारिश का मौसम हर
किसी को बहुत ही सुहावना लगता है.बारिश का मौसम आते ही लोगों का मन खुशियों के
छीटों से भर जाता है.हर व्यक्ति पकौड़े के साथ चाय का आनन्द उठाने के लिए बैचेन हो
जाता है.लेकिन जब यहीं बारिश बिन मौसम हो तो मन में कोई भी सुखद अनुभव उत्पन्न
नहीं होता है.ये बारिश है सर्दियों की बारिश.जब इस कड़कड़ाती ठंड में बारिश की
बौछार हो जाती है तो उसी बारिश के लिए मन में कड़वाहट उत्पन्न होता है.इस बारिश से
न सिर्फ तापमान में भारी गिरावट आ जाता बल्कि धूप के दर्शन बिना कई दिन गुजर जाता
है.ऐसे वक्त में लोग ये नहीं कहते कि बारिश होने से थोड़ी राहत मिली,जैसा कि अक्सर
गर्मियों के समय बारिश के वक्त सुनने को मिलता है बल्कि इस समय तो ये सुनने को
मिलता कि इस बारिश ने तो फिर ठंड बढ़ा दी.न जाने ये बारिश कब खत्म होगी?.
बारिश के आगमन के साथ ही कई
संक्रमणों का भी आगाज हो जाता है.बारिश के वक्त ठंड़ी हवाओं के कारण आँखों में
संक्रमण की अत्याधिक संभावना होती है.इन्ही संक्रमण मे से एक संक्रमण है “कंजंक्टिवाइटिस”,जिसे लोग आँख आना भी कहते
हैं.इसमें व्यक्ति की आँखें लाल हो जाती है साथ ही साथ आँखों में जलन और खुजली
होती है.कंजंक्टिवाइटिस के व्यक्ति को अपनी आँखों को धूप से बचाना चाहिए और काले
चश्मे का प्रयोग करना चाहिए.साथ ही साथ थोड़े-थोड़े अंतराल पर व्यक्ति को सादे
पानी से आँखों को धोना चाहिए और हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए.इसके लिए
व्यक्ति को हाथ धोने के लिए डिटौल,सेवलोन आदि जैसे एंटीसेपटीक साबुन का उपयोग करना
चाहिए.इसके अलावा “मौकिसीपी केटी” जैसे एंटीबायोटीक आई ड्रप को एक अंतराल पर आँखों में डालते
रहना चाहिए.इस समय व्यक्ति को मसालेदार खाने से परहेज करना चाहिए.इन सब सावधानियों
के अलावा व्यक्ति को किसी नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.इन बातों का ध्यान रखकर
ऐसी बारिश को ठंड के बावजूद भी सुहावना बनाया जा सकता है.ऐसी बारिश में सबसे जरूरी
है-“अपना ख्य़ाल रखना”.
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