सोशल मीडिया का लोकसभा
चुनाव 2014 पर असर
आज वर्तमान
में सोशल मीडिया (फेसबुक, टि्वटर
आदि) शैक्षिक, सामाजिक, और
आर्थिक जगत के साथ-साथ राजनीतिक जगत का भी
एक बहुत बड़ा शक्ति केंद्र बनता जा रहा है। इस बात का अंदाजा इंटरनेट मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार अगले आम चुनाव में सोशल मीडिया लोकसभा की 160 सीटों को प्रभावित कर सकता है, जो निचले
सदन की कुल सीटों का लगभग 30 प्रतिशत है.
हमारे देश में लोकसभा की कुल 543 सीटें है। जिसमें से 160 सीटें सोशल मीडिया से प्रभावित है। इसमें से 67 सीटों को सबसे
अधिक प्रभावित सीटों की श्रेणी में रखा गया है, जिसमें सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या
10 प्रतिशत से अधिक है। सोशल मीडिया से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र (21 सीटें ) और गुजरात
(17 सीटें) है।
शायद राजनीतिक दलों को भी
इस बात का अंदेशा हो चुका है। इसीलिए सभी राजनीतिक दल और नेता पारंपरिक चुनाव प्रचार के साथ-साथ सोशल मीडिया के माध्यम
से भी प्रचार करने में लगे हुए है। उनकी कोशिश है कि वह ज्यादा से ज्यादा शहरी मतदाता को प्रभावित कर सके। सोशल मीडिया के प्रभाव का मुख्य कारण युवाओं का इससे जुड़ाव है. इन चुनावों
में युवा शक्ति निर्णायक भूमिका निभा रही है। बीते चार साल में चुनाव आयोग ने सात करोड़ नए मतदाता पंजीकृत किए हैं। इनमें एक करोड़ सत्तर लाख मतदाता 18 से
19 साल के है। निश्चित रूप से सभी युवा मतदाता आज भी सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं है, लेकिन महानगरों और बड़े
शहरों में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सक्रिय युवा तबका राजनीतिक बहस का हिस्सा है। सोशल मीडिया पर इसी राजनीतिक बहस का असर दिल्ली विधान सभा चुनाव में भी देखने को मिला। जहां नई उभरी आम आदमी पार्टी ने वर्षो से सत्ता पर काबिज पारंपरिक दलों को दर किनार करते हुए सत्ता की चाबी हासिल की और दिल्ली में सरकार बनाई। हालाकिं की कई राजनीतिक दल भारत की जटिल राजनीतिक परिस्थिति और मतदाताओं के व्यवहार को आधार मानते हुए इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते है कि पर सच यह भी है कि उन्हीं दलों ने सोशल मीडिया पर अपना मोर्चा खोल रखा है।
इंटरनेट मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया
की रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में इंटरनेट यूजर्स की संख्या एक अरब से ज्यादा है। अकेले भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या लगभग 13.7 करोड़ है। भारत में 2010 में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या 7-8 करोड़ थी जो 2013 से बढ़कर 10-12 करोड़ हो गई है। जिसमें से सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या अकेले 8 करोड़ से अधिक
है। भारत में 6.8 करोड़ फेसबुक अकांउट और 1.8 करोड़ टि्वटर अकांउट है. एक अन्य
नीलसन कंपनी द्वारा अध्ययन में बताया है कि भारत में 7-8 करोड़ से अधिक लोग सोशल मीडिया से जुड़े है। जिसमें से 45 प्रतिशत यूजर्स सघन राजनीतिक विमर्श सोशल मीडिया पर खुलकर
करते है। इतनी अधिक संख्या में लोगों का सोशल मीडिया पर राजनीतिक चर्चा-परिचर्चा, बहस
करना इस ओर संकेत करता है कि लोग खास कर युवा वर्ग राजनीति के क्षेत्र में जागरुक हो रहा है और जो अपने मताधिकार का प्रयोग राजनीति में परिवर्तन लाने के लिए अवश्य ही करेगा। हालाकिं बड़ा सवाल यही है कि सोशल मीडिया पर मुखर रहने वाला यह वर्ग क्या मतदान करने की जहमत उठाएगा, या उसकी
सारी राजनीतिक सक्रियता फेसबुक जैसे मंचों पर ही सिमट कर रह जाएगी? इस बात
का सही आंकलन तो लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा कि क्या वाकई में सोशल मीडिया ने राजनीति को प्रभावित किया है.
राज्य सीटें
महाराष्ट्र 21
गुजरात 17
उत्तर प्रदेश 14
कर्नाटक 12
तमिलनाडु 12
आंध्र प्रदेश 11
केरल 10
मध्य प्रदेश 09
दिल्ली 07
पंजाब, हरियाणा,
राजस्थान 05
बिहार, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, पश्चिम
बंगाल 04
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