Tuesday, 4 February 2014

क्या महज छुट्टी का दिन है गणतंत्र दिवस ???

64 वर्ष पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराकर भारतीय गणतंत्र की घोषणा की थी। तब से आज तक हर वर्ष देश भर में बड़े गर्व और हर्षोउल्लास के साथ गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।अगर
आज के परिदृश्य में यह सवाल उठाया जाए कि आखिर गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है? तो लोगों से कुछ यूँ चित-परिचित सा जवाब मिलता है-मेरे लिए तो गणतंत्र दिवस बस एक छुट्टी का दिन है या फिर कुछ अपने इतिहास से अनजान ये जवाब देते कि अरे हम तो आज के दिन आजाद हुए थे। जबकि इन सबसे परे यह दिन हमारे ऐतिहासिक महत्व का दिन है। 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था और तबसे इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.

यह दिन सिर्फ इंडिया गेट पर रंग बिरंगी झॉंकियों का दिन नहीं है। ये वो दिन है जिसमें हम अपनी देश की शक्ति और विकास का प्रदर्शन करते है। इस दिन हम अपनी थल सेना, जल सेना और वायु सेना की ताकत प्रदर्शित करते है। झॉंकियों के माध्यम से प्रत्येक राज्य का विकास दिखाया जाता है। जो विकास के साथ-साथ हमारे देश की विविधता और एकता का प्रतीक बनती है। इस दिन का इंतजार हमारे सेनाओं के जवान, एनसीसी के कैडेट और स्कूली बच्चे पूरे साल बेसबरी से करते है और पूरे साल इस दिन के लिए तैयारी करते है।
गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। गणतंत्र दिवस पूरे देश में विशेष रूप से राजधानी दिल्ली में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है | इस अवसर के महत्व को चिह्नित करने के लिए हर साल एक भव्य परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन (राष्ट्रपति के निवास) तक राजपथ पर राजधानी, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है| इस भव्य परेड में भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट ,वायुसेना, नौसेना आदि सभी भाग लेते हैं| इस समारोह में भाग लेने के लिए देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों से बच्चे आते हैं , समारोह में भाग लेना एक सम्मान की बात होती है |परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) जो राजपथ के एक छोर पर इंडिया गेट पर स्थित है पर पुष्प माला डालते हैं| इसके बाद शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है | यह देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़े युद्ध व स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के बलिदान का एक स्मारक है | इसके बाद प्रधानमंत्री, अन्य व्यक्तियों के साथ राजपथ पर स्थित मंच तक आते हैं, राष्ट्रपति बाद में अवसर के मुख्य अतिथि के साथ आते हैं |

परेड में विभिन्न राज्यों से चलित शानदार प्रदर्शिनी भी होती है ,प्रदर्शिनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता, उनके लोक गीत व कला का दृश्यचित्र प्रस्तुत किया जाता है| हर प्रदर्शिनी भारत की विविधता व सांस्कृतिक समृद्धि प्रदर्शित करती है | परेड और जलूस राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित होता है और देश के हर कोने में करोड़ों दर्शकों के द्वारा देखा जाता है|
पूरे देश में 65वां गणतंत्र दिवस हर्षोंल्लास से मनाया गया। राष्ट्रीय राजधानी के विजय चौक से ऐतिहासिक लालकिले तक दोनों ओर उत्साही जनता के विशाल हुजूम के बीच आधुनिक युग की विभिन्न क्षेत्रों की देश की उपलब्धियों और देश की सुरक्षा की गारंटी देने वाली फौज की क्षमता का भव्य प्रदर्शन हुआ। विजय चौक से ऐतिहासिक लालकिले तक दोनों ओर उत्साही जनता के विशाल हुजूम के बीच, प्राचीन काल से चली आ रही भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं वाली विरासत, आधुनिक युग की विभिन्न क्षेत्रों की उसकी उपलब्धियां और देश की सुरक्षा की गारंटी देने वाली फौज की क्षमता का देश के 65वें गणतंत्र दिवस के मौके पर भव्य प्रदर्शन हुआ। ऐतिहासिक राजपथ पर लोगों के हुजूम के बीच भारतीय सांस्कृतिक विविधता, राष्ट्रीय धरोहर, आधुनिक उपलब्धियों एवं सैन्य ताकत को प्रदर्शित करने वाले गणतंत्र दिवस समारोह को देख मुख्य अतिथि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे भावविभोर दिखे।

 गणतंत्र दिवस समारोह : प्रमुख झलकियाँ

 * वायु सेना के हवाई कारनामों को स्तब्ध होकर देखते रहे दर्शक।
* राजपथ पर फ्लाई पास्ट का नजारा।
* बीएसएफ के जांबाजों के मोटरसाइकिल दस्तें का प्रदर्शन देख लोगों ने दांतों तलें अंगुली दबा ली।
* नृत्य से स्कूली छात्रों ने भी बांधा राजपथ पर समां।
* बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित 20 बच्चे भी राजपथ पर। 5 बच्चों को मरणोंपरांत मिला है यह सम्मान।
* राजपथ पर 'फूलों से सजा राजपथ' लोकनिर्माण की झांकी में दिखाई दिया।
* जनजातीय कार्य मंत्रालय की झांकी में प्रकृति के साथ जीवन यापन की एक झलक दिखाई दी।
* असम की झांकी में भुपेंद्र हजारिका की आवाज सुन सब मंत्र मुग्ध।
* पुरुलिया के छऊ नृत्य को प्रदर्शित करती पश्चिम बंगाल की झांकी।
* छत्तीसगढ़ की झांकी में भूमिकाल बस्तर का स्वतंत्रता आंदोलन।
* कर्नाटक की झांकी में मैसूर के टीपू सुल्तान।
* राजस्थान का तेरह ताली नृत्य।
* अरूणाचल के अजी लामू नृत्य ने मोहा सबका मन।

Priya singh

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