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में एक कहावत है कि बुढा शेर किस काम का। शायद ये कहावत भारतीय टीम के कुछ सीनियर
प्लेयर्स के लिए उपयुक्त साबित होती नजर आती है जिन्हें इस साल मार्च में होने वाले टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप के 30 संभावित
खिलाडियों की श्रेणी से बाहर रखा गया है, इस कड़ी में सबसे
पहला नाम वीरेंद्र सहवाग का है. भारतीय टीम का यह सलामी बल्लेबाज एक समय टीम की रीढ़ की हड्डी हुआ करता था लेकिन आज उनके सितारे गर्दिश में है. वीरेंद्र
सहवाग के साथ-साथ उनके जोड़ीदार गौतम गंभीर भी इसी श्रेणी में खडें हुए है। इनके
अतिरिक्त स्पीडस्टर जहीर खान, मध्यम तेज गति के गेंदबाज प्रवीण कुमार व ऑलराउंडर
इरफान पठान से भी चयनकर्ताओं का भरोसा उठ गया है
वीरेंद्र सहवाग
"नज़फ़गढ़ का यह नवाब" अपनी विस्फोटक
बल्लेबाजी के लिए मशहूर है,जिससे इमरान खान व विवियन रिचर्डस सरीखे दुनिया भर के बड़े-बड़े गेंदबाज खौफ खाते है. सहवाग के रन अधिकतर गेंदों से ज्यादा ही होते हैं. सहवाग ने 19 अंतर्राष्ट्रीय
टी-ट्वेंटी मैचों में केवल 2 अर्धशतक लगाए है।
गौतम गंभीर
बाएं हाथ का यह सलामी खब्बू बल्लेबाज बडे
स्कोरिंग मैचों में अच्छी शुरुआत देकर टीम को एक प्लेटफोर्म देने के लिए जाना जाता
है। गंभीर भारत की ओर से 37 अंतर्राष्ट्रीय टी-ट्वेंटी मैच खेल चुकें हैं। जिसमें
उन्होंने 27.41 के औसत से रन बनाए जो टी-ट्वेंटी के हिसाब से एक अच्छा औसत है।
जहीर खान
भारतीय टीम का यह स्पीडस्टर बल्लेबाजों को
खुलकर खेलने का मौका नहीं देता। इन्हें गेंद को रिवर्स स्विंग कराने में महारत
हासिल है। कुछ समय पहले तक भारत की गेंदबाजी का भार इन्हीं के कंधों पर था। जहीर अपनी “यॉर्कर” के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं. जहीर
अब तक 17 टी-ट्वेंटी मैचों में 17 ही विकेट ले चुके हैं।
इरफान पठान
मध्यम तेज गति का ये गेंदबाज गेंद को दोनों ओर मूव कराने में माहिर है
वनडें मैचों में धमाकेदार एंट्री करने वाले पठान भारत के एकमात्र ऐसे
ऑलराउंडर है जिन्होंने लगभग सभी स्थानों पर आकर भारतीय टीम के लिए बल्लेबाजी की
है। पठान ने भारत के लिए अब तक 24 टी-ट्वेटी मैचों में 28 विकेट लिए हैं और उनका
बल्लेबाजी औसत 24.57 रहा है
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