Monday, 3 February 2014

देशवासियों की मानसिकता में कब होगी प्रगति

जब कोई लङकी बस में चढती है तो वह खुद को कहीं न कहीं पूरी तरह से सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। वर्तमान में देश प्रगति की ओर अपने कदम तेजी से बढा रहा है , परन्तु देश मे रहने वालों की मानसिकता में अभी भी प्रगति नहीं हुई है। आज लङकियां लङकों के बराबर हर क्षेत्र में अपना योगदान दें रहीं हैं फिर भी लोग इन्हें निम्न नजर से देखते हैं,। जिस कारण बस आदि में सफर करते समय 50%  महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं।  बसों में अधिकतर मनचले भीङ का फायदा उठाने से नहीं चूकते। ऐसे मनचलों से हर रोज महिलाएं खुद को बचाने की कोशिश करतीं हैं ।
गाजियाबाद के प्राइवेट बस स्टेंड से ALT बस आनन्द विहार और नोएडा सेक्टर 37 तक प्राइवेट चलतीं हैं। जिसमें यात्रा करने वाले पुरुष व महिलाएं दोनों ही होते हैं इन बसों में भीङ इतनी अधिक होती है कि कदम रखने की भी जगह नहीं होती है। ऐसे में हर रोज किसी न किसी रुप में महिलाओं को छेङखानी का सामना करना पङता है। गाजियाबाद से नोएडा का रोज का सफर करने वाली प्रीती कहती हैं कि वैसे तो एक लङकी सूनसान जगह पर सुरक्षित नहीं होती है लेकिन इन बसों में सफर करना किसी खतरे से खाली नहीं है। वे आगे कहती हैं कि घर से दफ्तर जाते वक्त न जाने कितने नजरों के नश्तरों से होकर गुजरना होता है इसका अहसास करना किसी भयानक सपने से कम नहीं। वापस घर आते वक्त बस में उनके पास खङे कुछ लोग तो गलती से छूते हैं पर कुछ जानबूझ कर छूने की कोशिश करते हैं और अश्लील हरकतें करते हैं जिन्हें वह वयां नहीं कर सकतीं ।
 इन्हीं बसों में सफर करने वाली आंचल का कहना है कि वह ५ सालों से इन बसों में सफर कर रहीं हैं और अब ये बातें रोज की हो गई हैं उनका कहना है कि ऐसी हरकतों का विरोध भी वह कई बार कर चुकीं हैं पर उसका कोई फायदा नहीं होता पास खङे लोग कुछ भी बोलना नहीं चाहते बस खङे होकर तमाशा जरुर देखते हैं इतना ही नहीं इन मनचलों मे पुलिस का भी कोई खौफ नहीं है ऐसे मनचलों के साथ पुलिस भी सख्ती से पेश नहीं आती

यही हाल दिल्ली की बसों का भी है २०१२ में बस में जो निर्भया के साथ हुआ उसके बाद से तो महिलाएं बसों में सफर करने से पहले सोचतीं हैं। देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून तो बन गया पर उस पर अमल अभी भी नहीं किया जा रहा है । आखिर कब महिलाएं अपने ही देश में आजादी से रह पायेंगी कब वह खुद को हर जगह सुरक्षित महसूस महसूस कर पाएंगी ? इसके लिए सभी को अपनी सोच बदलनी होगी तब ही महिलाओं को पूरी तरह बराबरी का हक प्राप्त हो सकेगा ।  

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