Wednesday 29 January 2014

सरदार पटेल के बहाने....

सरदार पटेल के बहाने....

आज़ादी के लगभग साठ साल बाद भाजपा प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल को भारतीय राजनीति में फिर से प्रासंगिक बना दिया है। मोदी सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनीटि नर्मदा नदी के किनारे बनवा रहे हैं जो दूनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी बड़ी होगी। इस प्रतिमा को बनाने के लिए मोदी पूरे देश के किसानों से घुम-घुम कर लोहा ईक्ट्ठा कर रहे हैं। मोदी के सरदार प्रेम ने कांग्रेस को मजबूर कर दिया है कि वो भी पटेल साहब को अपने बैनरो और पोस्टरों में जगह देने लगी है।
  सरदार पटेल के बहाने मोदी कांग्रेस पर जमकर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस पर वो सरदार पटेल की अनदेखी करने और सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार की जय-जयकार करने का आरोप लगा रहे हैं। मोदी यह कहते फिर रहे हैं कि पंडित नेहरू के बदले अगर सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश का भविष्य काफी उज्वल होता और भारत आज जिन मुश्किलों का सामना कर रहा है वो परेशानियां पैदा ही नहीं होती। दरअसल नरेंद्र मोदी का यह सरदार प्रेम उनकी सोची-समझी रणनीति का ह्स्सा है। इससे वो एक तरफ कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं कि कांग्रेस भेदभाव की राजनीति करती है। नेहरू-गांधी परिवार को छोड़कर इस पार्टी ने कभी दूसरे राष्ट्रभक्त या राजनेता को महत्व ही नहीं दिया। दूसरी तरफ कांग्रेस के इस प्रतीक को अपनाकर मोदी खुद को सरदार पटेल का उत्तराधिकारी साबित कर रहे हैं।
  सरदार पटेल मोदी के लिए कई मायने में महत्वपूर्ण हैं। आजादी के बाद सरदार पटेल ने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया था। वो कुशल प्रशासक थे। पटेल की इसी छवि को भुनाने में मोदी लगे हुए हैं। मोदी अपने आलोचकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनमें पूरे देश को जोड़कर रखने की कुव्वत है। साथ ही वो यह भी दिखाना चाहते हैं कि सबको साथ लेकर चलने की क्षमता भी उनमें है। मोदी अक्सर गुजरात अस्मिता की बात करते हैं, उन्होंने सरदार पटेल को भी गुजरात अस्मिता से जोड़ दिया है। केशुभाई पटेल के अलग होने और पार्टी बना लेने के बाद पटेल समुदाय धीरे-धीरे मोदी से किनारा करने लगा था। जिसकी एक छोटी सी झलक पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिली थी। सरदार पटेल को आगे रख कर मोदी पटेलों को भी अपनी ओर आकर्षित करने की जुगत मे हैं। मोदी पिछड़ी जाति से आते हैं और पटेल समुदाय गुजरात की अगड़ी जातियां है। ऐसे में सरदार पटेल प्रदेश में भाजपा के लिए संजीवनी बूटी साबित हो सकते हैं। 
  लेकिन इससे भी बड़ा लक्ष्य जो मोदी ने रखा है वो है सीधे तौर पर पूरे देश के किसानो से जमीनी स्तर पर जुड़ना। सरदार की प्रतिमा के लिए लोहा किसानो से लिया जाएगा। भारत में लगभग साठ फिसदी जनसंख्या किसानों की है ऐसे में अगर देश के किसान पटेल के बहाने मोदी और भाजपा से अपना जुड़ाव महसूस करने लगेंगे तो 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी का हाथ पकड़ना विपक्षी पार्टियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। मोदी की पुरी कोशिश यही है कि किसी तरह किसान उनके साथ आए जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित हो और प्रधानमंत्री का सेहरा उनके सर बंधे।

   

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