Sunday 9 February 2014

माखनलाल में “प्रतिभा” प्रतियोगिता का आयोजन

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्धालय के नोएड़ा परिसर में प्रतिभा प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगिता का शुभारंभ परिसर में 11 फरवरी सुबह 9.30 से होगा। इसमें विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक तथा खेलकूद प्रतियोगिताए होंगी। विद्धार्थी प्रतियोगिता के लिए नामांकन दिनांक 10 फरवरी तक प्रतियोगिता के आयोजन कर्ता डा. अरूण कुमार भगत, प्रोफेसर सूर्य प्रकाश व रजनी नागपाल के पास करा सकते है। माखनलाल विश्वविद्धालय यह प्रतियोगिता पिछले कई वर्षों से कराता आ रहा है जिसमें प्रत्येक वर्ष विद्धार्थी बढ़ चढ़कर भाग लेते है। प्रतियोगिता को निबंध,,क्विज,पीपीटी,नृत्य,दौड,बैटमिंटन,क्रिकेट आदि भागों में बाटां गया है। प्रतियोगिता के संचालन  में सहयोग के लिए अन्तिम सेमेस्टर के विद्धार्थियों को अलग-अलग प्रतियोगिता का वालंटियर नियुक्त किया गया है। नोएडा परिसर के डायरेक्टर जगदीश उपासने ने कहा है कि प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विद्धार्थी 10 परवरी तक अपना नामांकन करा ले ताकि कार्यक्रम के आयोजन में किसी प्रकार की अवयवस्था न हो। यह प्रतियोगिता 11 फरवरी से 15 फरवरी तक चलेगी। 

Thursday 6 February 2014

Ram Sutar - The Nation's beautifier



We have heard of Raphael, Leonardo Da Vinci and Michelangelo - All of them have added volumes to history. But here, amidst us, is India's very own and precious Ram Sutar - The creator and maker of numerous sculptors that we see around us. For those of you, who have visited Pragati Maidan, will recognize this great artist for spectacular statues of leaders, authors and visionaries like Mahatma Gandhi, Rabindranath Tagore, and Pt Jawaharlal Nehru.

I had the fortune of meeting him and his son Anil Sutar while I was on my way to Dainik Jagran office in Noida. Right across the road I noticed beautiful sculptures of freedom fighters and some deities. The sight was so magnificent that I felt compelled to rush inside the premises. While I was immersed in admiring the statues a voice behind me said, "Babuji se mil lije". I stepped into the office and was greeted by Anil Sutar. He was accompanied by several other men. While departing, one of them remarked "he is one of his kinds and the only one in India. You will learn a lot from him". By now I had registered that destiny had brought me in front of a great great personality. Anil Sutar, a replica of his father told me all about his work. As he spoke I craned my head around the tiny office admiring all the paintings of Ram Sutar. Just then a shabbily dressed, old man, covered in paint and dust walked in. Well it was the legendary Ram Sutar himself. Frankly, had I not been observing the paintings I couldn't have even given a wild guess on his identity? The man who had been awarded Padma Shri from former President K. R. Narayan and who is the creator of over hundred paintings and monumental sculptors was standing in front


of me in the most modest way that I could have ever imagined him. He didn't pause for long, but returned to his work. My curious mind struggled with questions but I didn't have to ask much. The 89 year old man's actions spoke loud and clear. I closely studied him for a long time. Ram Sutar's love for clay and his positive spirit was quite apparent. His old features didn't show a trace of fatigue as he stooped low to paint a 6ft horse.

Michelangelo had once said, "Every block of stone has a statue inside it and it is the task of the sculptor to discover it." Ram Sutar is one such man who can discover beautiful models out of every stone. From figures made out of small river bed stones, corals, peanut shells, to paintings, murals, sketches, statues, architecture, Ram Sutar has touched every horizon of art. While walking on the beaches of Mauritius Ram saw the corals and transformed them into art pieces. Similarly while eating Pistachio he would keep the shells aside to make a face out of them. Ram Sutar is an inspiration for all the budding artists. His simple lifestyle and complete dedication to art is what makes him unique. Ram has firm faith on Karma and that is why despite all the fame and appreciation on his credit, his always remains down to Earth.


After a long conversation, Anil handed me a biography that he had written on his father - "Sculptor Ram V Sutar - A life story".  This book was published on his 85th birthday. Anil Sutar now walks on his father's footprints and is also a renowned sculptor of India. Little decisions over time make a big impact on our lives. My instant desire to see the sculptures now has given me a vision of dedication. Ram Sutar’s story has left an indelible mark on my heart forever and I don’t think I’m ever going to remain the kind of person I was.

Just two days after I'd visited them, I got to know of a tragedy that had hit the family. Pramilla, Ram Sutar’s wife had expired. This is a tough time for the family. Ram has faced a lot of struggle all his life but just like a valiant soldier of India, he has fought all obstacles and dedicated his life to art. May Pramilla's soul rest in Peace.
  



सरदार पटेल के बहाने

सरदार पटेल के बहाने....
आज़ादी के लगभग साठ साल बाद भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल को भारतीय राजनीति में फिर से प्रासंगिक बना दिया है। मोदी सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनीटि नर्मदा नदी के किनारे बनवा रहे हैं जो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी बड़ी होगी। इस प्रतिमा को बनाने के लिए मोदी पूरे देश में घूम-घूम कर किसानों से लोहा ईक्ट्ठा कर रहे हैं। मोदी के सरदार प्रेम ने कांग्रेस को मजबूर कर दिया है कि वो भी पटेल साहब को अपने बैनरों और पोस्टरों में जगह देने लगी है।
  सरदार पटेल के बहाने मोदी कांग्रेस पर जमकर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस पर वो सरदार पटेल की अनदेखी करने और सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार की जय-जयकार करने का आरोप लगा रहे हैं। मोदी यह कहते फिर रहे हैं कि पंडित नेहरू के बदले अगर सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश का भविष्य काफी उज्वल होता और भारत आज जिन मुश्किलों का सामना कर रहा है वो परेशानियां पैदा ही नहीं होती। दरअसल नरेंद्र मोदी का यह सरदार प्रेम उनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इससे वो एक तरफ कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं कि कांग्रेस भेदभाव की राजनीति करती है। नेहरू-गांधी परिवार को छोड़कर इस पार्टी ने कभी दूसरे राष्ट्रभक्त या राजनेता को महत्व ही नहीं दिया। दूसरी तरफ कांग्रेस के इस प्रतीक को अपनाकर मोदी खुद को सरदार पटेल का उत्तराधिकारी साबित कर रहे हैं।
  सरदार पटेल मोदी के लिए कई मायने में महत्वपूर्ण हैं। आजादी के बाद सरदार पटेल ने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया था। वो कुशल प्रशासक थे। पटेल की इसी छवि को भुनाने में मोदी लगे हुए हैं। मोदी अपने आलोचकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनमें पूरे देश को जोड़कर रखने की कुव्वत है। साथ ही वो यह भी दिखाना चाहते हैं कि सबको साथ लेकर चलने की क्षमता भी उनमें है। मोदी अक्सर गुजरात अस्मिता की बात करते हैं, उन्होंने सरदार पटेल को भी गुजरात अस्मिता से जोड़ दिया है। केशुभाई पटेल के अलग होने और पार्टी बना लेने के बाद पटेल समुदाय धीरे-धीरे मोदी से किनारा करने लगा था। जिसकी एक छोटी सी झलक पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिली थी। सरदार पटेल को आगे रख कर मोदी पटेलों को भी अपनी ओर आकर्षित करने की जुगत मे हैं। मोदी पिछड़ी जाति से आते हैं और पटेल समुदाय गुजरात की अगड़ी जातियां है। ऐसे में सरदार पटेल प्रदेश में भाजपा के लिए संजीवनी बूटी साबित हो सकते हैं। 
  लेकिन इससे भी बड़ा लक्ष्य जो मोदी ने रखा है वो है सीधे तौर पर पूरे देश के किसानों से जमीनी स्तर पर जुड़ना। सरदार की प्रतिमा के लिए लोहा किसानों से लिया जाएगा। भारत में लगभग साठ फीसदी जनसंख्या किसानों की है ऐसे में अगर देश के किसान पटेल के बहाने मोदी और भाजपा से अपना जुड़ाव महसूस करने लगेंगे तो 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी का हाथ पकड़ना विपक्षी पार्टियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी। मोदी की पूरी कोशिश यही है कि किसी तरह किसान उनके साथ आए जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित हो और प्रधानमंत्री पद का सेहरा उनके सर बंधे।

   

क्रिक्रेट और विज्ञान जगत को सर्वोच्च सम्मान

क्रिकेट के भगवान् कहे जाने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर अब भारत का रत्न के नाम से भी जाने जायेंगे..राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने  मंगलवार को महानतम खिलाडी सचिन तेंदुलकर और वैज्ञानिक चिंतामणि नागेश राव को भारत रत्न से सम्मानित किया. सम्मान समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में ही किया गया. कार्यक्रम के दौरान प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, यू पी ए अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रमुख सदस्य भी मौजूद थे.  सचिन और  पी एन आर राव अब उन 43 लोगों की सूची में शामिल हो चुके हैं जिन्हें अब तक सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त है.
भारत रत्न पाने वाले सचिन(41) पहले युवा भारतीय और पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक का सम्मान मिला है इसके अलावा सचिन राज्यसभा सदस्य भी हैं सचिन अकेले ऐसे महानतम खिलाडी हैं जिनकी प्रसिद्धि केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी है 200 टेस्ट क्रिकेट में 15921 रन और 51शतक और 463 वन-डे मैचों में 18,426 रन और 49 शतक जमाने वाले सचिन विश्व के पहले बल्लेबाज हैं

गौरव के पल: सचिन ने यह अवार्ड अपनी माँ और भारत की सभी माँओं को समर्पित करते हुए कहा  ?कि "ये अवार्ड उन सभी माँओं के लिए है जिन्होंने अपने बच्चों के लिए कई बलिदान दिए हैं जिससे वो भारत रत्न बन सकें" सचिन के साथ पी एन राव (79) को राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया पी एन आर राव ऐसे चौथे साइंटिस्ट बन गए हैं जिन्हें इस क्षेत्र में भारत रत्न मिला है इसके पहले विज्ञान के क्षेत्र में यह अवार्ड भौतिकशाश्त्री डॉ सी.व्ही. रमन, एम. विस्वेस्वरैया, और पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को मिल चुका हैराव का रसायन केे क्षेत्र में विशेष यागदान है
राव जवाहरलाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च बेंगलोर के अध्यक्ष हैं इसके अलावा राव साइंटिफिक एडवाइजरी
कौंसिल के चेयरमैन और इंटरनेशनल सेंटर फॉर मटेरियल साइंस के डायरेक्टर भी रह चुके हैं सम्मान समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान राव ने कहा कि "हालांकि दुनिया भर में सम्मान पाने के बावजूद ये सम्मान सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण है इसके साथ ही राव ने कहा कि " अन्य देशों की तुलना में भारत ने भी विज्ञान जे क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है"

ट्रैफिक का सरदर्द बना... ई-रिक्शा

जहां एक ओर दिल्ली में भीड़-भाड़ के चलते आये दिन ट्रैफिक की समस्या बनी रहती है वहीं बिजली से चलने वाले ई-
रिक्शा चालकों की बढ़ती तदाद और मनमर्जी के चलते ट्रैफिक पुलिस और अन्य मोटर वाहनों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है।बीच सड़क पर सवारी बिठाने और अनिश्चित रूट में प्रवेश करने से ट्रैफिक की समस्या बढ़ रही है साथ ही शहर में इन रिक्शों की संख्या में दिन दो गुनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है.
 2014 में दिल्ली में ई रिक्शा की संख्या 6000 से
बढ़कर 50000 हो गई है।


पुलिस इन रिक्शा चालकों के द्वारा मोटर व्हीक्ल एक्ट की अनदेखी से परेशान है.जहां ई रिक्शा बनाने वाली कंपनियों ने इन रिक्शों के लिए 250 वॉट की क्षमता वाली मोटर लगायी है वही रिक्शा चालक अपने लाभ के लिए पांच सवारी बैठाने और स्पीड बढाने के लिए इनमें 650 से 850 वॉट तक की क्षमता वाली मोटर बैटरी का प्रयोग कर रहे हैं। जो अवैध होने के साथ ही खतरनाक भी है.
      
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने ई-रिक्शा की बिक्री पर रोक लगते हुए कहा था कि "ये ट्रैफिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने और मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन करने वाला है। इसके बावजूद भी निजी कंपनियों ने इन यात्री ई-रिक्शा का निर्माण करना बंद नहीं किया।हैरत की बात ये है कि इसकी बिक्री आगरा और साहिबाबाद में धड़ल्ले से हो रही है.

सातवें आसमान से ऊपर 'क्लाउड गुरू'

जानी-मानी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भारतीय मूल के सत्या नडेला को कंपनी का नया सीईओ नियुक्त किया है। कंपनी के पिछले सीईओ स्टीव बॉमर के रिटायरमेंट के ऐलान के बाद से ही कंपनी में सभी के दिमाग में ये सवाल था कि अब माइक्रोसॉफ्ट की बागडोर किसके हाथ होगी। मगर, नडेला ने सभी कयासों पर विराम लगाते हुए खुद ही इस नई चुनौती के लिए हाथ बढ़ाया।

46 साल के सत्या नडेला 1992 से माइक्रोसॉफ्ट के साथ जुड़े हैं। उनका जन्म हैदराबाद में हुआ था और भारत से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। कंपनी में नडेला की पहचान एक वफादार और मेहनती कर्मचारी के तौर पर है। सत्या नडेला ने कंपनी में कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म, डिलिवरी टूल्स और क्लाउड सर्विसेज को मजबूत बनाने में काफी योगदान दिया है। सीईओ बनने से पहले नडेला माइक्रोसॉफ़्ट के 'क्लाउड एंड एंटरप्राइज़' के प्रमुख थे। नडेला कंपनी के 39 साल के इतिहास में तीसरे सीईओ हैं। नडेला के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कंपनी को वापस पटरी पर लाना। कंपनी मोटी रकम खर्च करने के बाद भी टैबलट और सर्च इंजन जैसे नए क्षेत्रों में कुछ खास हासिल नहीं कर पाई है। इसके अलावा और भी कई ऐसी चुनौतियां हैं जो नडेला की राह में मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। मगर,बुलंद हौसले के धनी नडेला इस नई जिम्मेदारी के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार बता रहे हैं।

Wednesday 5 February 2014

क्रिकेट पर फोकस, राष्ट्रीय खेल की हालात खराब

एन.सी.आर के अधिकतर स्पोर्टस् स्टेड़ियम क्रिकेट की तरफ अधिक ध्यान केंद्रित कर रहें है। और राष्ट्रीय खेल हॉकी की ओर ध्यान न के बराबर है। हॉकी की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। एन.सी.आर में हॉकी की दयनीय दशा को सुधारने के लिए प्रदेश में कोई विशेष योजना या पहल के तहत कार्य नहीं हो रहा  है।
महामाया स्टेडियम की इंचार्ज संतोष का कहना है कि खिलाड़ियों के पास  खेलने के लिए पर्याप्त उपकरण नहीं है। खिलाड़ियों में हॉकी के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए कोई विशेष योजना नहीं है। इसलिए सुविधाओं के अभाव में हॉकी  खिलाड़ियों की संख्या घट रही है।
सरकार की ओर से एन.सी.आर. में कोई भी सैपरेट हॉकी स्टेड़ियम नहीं बनवाया गया है। गाजियाबाद के महामाया स्टेड़ियम को छोड़ दिया जाए तो नोएड़ा गाज़ियाबाद में अन्य ऐसा कोई स्टेड़ियम नहीं है जिसमें हॉकी की कोचिंग दी जाती हो।

मोहननगर स्थित मोहन स्पोर्टस स्टेड़ियम के कोच राकेश शर्मा का कहना है कि उनके पास हॉकी के लिए स्पेस नहीं है जबकि वहां पैसे लेकर क्रिकेट के लिए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इतना ही नहीं स्टेडियम में आए दिन शादी का पंड़ाल देखने को मिल ही जाता है। इसी तरह क्रिकेट को ध्यान में रखते हुए नोएड़ा ऑथरटी एक बडे क्रिकेट स्टेड़ियम का निर्माण कर रही है। लेकिन यहां भी हॉकी के लिए कोई विशेष पहल नहीं की जा रही है।